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क्या संघ परिवार
की तमाम भगीनी शाखाओं में परिवर्तन की बयान जारी है? क्या राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के माध्यम से अस्तित्व में आए महत्वपूर्ण संगठन के उद्देश्य
और कार्यप्रणाली में अब बदलाव हो रहा है?
क्या विश्व हिन्दू परिषद में सब ठीक चल रहा है? क्या शत प्रतिशत एफडीआई के फैसले को स्वदेशी जागरण मंच चुनौती नहीं देगा?
आज इतने सारे सवाल इसलिए पैदा हुए हैं क्योंकि केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने वो तमाम फैसले लेना शुरु कर दिया है जिसका वह एक जमाने मे विरोध कर रही थी. इन फैसलों का जो परिणाम होगा उसे लेकर संघ की कई सारी भगीनी संस्थाओ में चर्चा जारी है. खासकर स्वदेशी जागरण मंच. कांग्रेस की सरकार के दौरान एफडीआई के भारत में प्रवेश पर इस संगठन नें पूरे देश में बवंडर खड़ा कर दिया था. लेकिन इस समय वह चुप है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने भी एफडीआई का विरोध किया था लेकिन अब सत्ता में आने के बाद उन्होंने शत प्रतिशत एफडीआई के रास्ते खोल दिए. इसी प्रकार जीएसटी, आधार कार्ड और मनरेगा के मसले पर बीजेपी की सरकार ने यु टर्न लिया है. बीजेपी के इस कदम पर संघ में कई वरिष्ठ नाराज नजर आ रहे हैं. लेकिन सार्वजनिक रुप से सब चुप है. यहां तक की संघ की भगिनी संस्थाएं भी इन मुद्दों पर सरकार से ना तो सवाल पूछ रही है और ना ही विरोध कर रही है. ऐसा लगता है कि सरकार के साथ-साथ इन संस्थाओं ने भी अपनी कार्यशैली, नीति नियम और फैसलों में यू टर्न लिया है. स्वदेशी के नाम पर देशभर में साहित्य बांटने वाले, हजारों करोड़ के बिजनेसमैन एसे योग गुरु बाबा रामदेव भी चुप है.
इस समय बीजेपी के
खिलाफ सिर्फ एक ही व्यक्ति जमकर बरस रहा है. वह है विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी
प्रमुख डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया. जब से प्रवीण तोगड़िया ने प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी का सार्वजनिक विरोध शुरू किया है तब से चर्चा है कि प्रवीण तोगड़िया
को अपना पद गवाना पड़ सकता है. कई अखबारों में इस किस्म की खबर भी
छपी. लेकिन यह इतना आसान नहीं. विश्व हिंदू परिषद एक चैरिटेबल संस्था
है. जिस की शाखाएं विश्व के 75 से ज्यादा देशों में फैली है. करीब 1 महीने पहले उड़ीसा
में विश्व हिंदू परिषद की त्रिवार्षिक सभा हुई. पहली बार अंतर्राष्ट्रीय
कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए प्रवीण तोगड़िया के अलावा एक अन्य नाम भी लोगों के
सामने सूचित किया गया. जिस तरह से अन्य सभाओं में वोटिंग के दौरान हां या ना
जवाब देना पड़ता है उससे विपरीत विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में सहमत
होने पर “ओम” यह उद्गार निकाले जाते हैं. नया नाम प्रस्तुत होने के बाद जब डॉक्टर
प्रवीण तोगड़िया के नाम पर वोटिंग हुई तो करीब 75 फ़ीसदी जितने
विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने “ओम” यह उद्गार निकाले.
यानी प्रवीण तोगड़िया को इस पद पर बनने रहने का समर्थन मिला. विश्व हिंदू परिषद के
कार्य अध्यक्ष चुनने के लिए संगठन के मंत्री, प्रांत मंत्री, क्षेत्र मंत्री, वोटींग करते है.
इसके अलावा विदेश में बसने वाले वीएचपी के पदाधीकारी भी वोटींग करते है. यानी अब
डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया को उनके पद से हटाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
तैयारियां करनी होगी.
लेकिन संघ परिवार
के भीतर ही भगिनी संस्थाओं के आला नेताओं की रंजिश काबू से बाहर दिख रही है. करीब 20 साल पहले जब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया दोस्त हुआ करते थे. उस बख्त
केशु भाई पटेल से अपना समर्थन वापस लेकर शंकर सिंह वाघेला की सरकार को
समर्थन देने वाले विधायकों की धोती सरदार वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम में सार्वजनिक
रूप से खींच ली गई थी. इस मामले में डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया के खिलाफ कानूनी
कार्रवाई अब शुरू हुई है. राजस्थान पुलिस ने भी जो कार्रवाई की है वह कई साल पहले
की घटना है.
गौर करने वाली बात
यह है कि डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया जब बीमार हुए तो उनका हाल-चाल पुछने बीजेपी के
किसी नेता ने अस्पताल का चक्कर नहीं लगाया. लेकिन हार्दिक पटेल पहुंच गए. एक
निजी चैनल को दिए हुए इंटरव्यू में हार्दिक पटेल ने कहा कि गुजरात चुनाव के दौरान
उन्हें प्रवीण तोगड़िया कई मुद्दो पर उनसे सहमत है. सद्बभावना उपवास से शुरु हुई
मोदी और तोगडीया की दुश्मनी अब गुजरात में हर नुक्कड पर चर्चा का विषय बन चुका है.
सच बताएं तो विश्व
हिंदू परिषद इस संस्था के माध्यम से हिंदुओं के एकत्रित और आक्रमक होने का संदेशा
पूरी दुनिया को मिला था. बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद विश्व हिंदू परिषद
का सदस्य बनने के लिए हिंदू युवाओं ने एक होड मची थी. प्रवीण तोगड़िया के बयानों को
उस वक्त गंभीरता से लिया जा रहा था. अब अखबारो में एसी चर्चा है कि फरवरी महीने
में प्रवीण तोगड़िया की विश्व हिंदू परिषद से छुट्टी होगी. फरवरी में संघ की
कार्यसमिती की बैठक है, जिसमे यह बदवाव के संकेत मिल रहे है. संघ की इस
बैठक में भगीनी संस्थाओ के विषय मे फैसला किया सकता है. लेकिन एक बात तय है कि
प्रवीण तोगड़िया अकेले विश्व हिंदू परिषद से बाहर नहीं जाएंगे. बल्कि वह अपने साथ
जुड़े हुए कहीं ऐसे तथ्य और जानकारी को लेकर बाहर आएंगे जिससे बीजेपी और संघ
परिवार की अन्य शाखाओं में खलबली पैदा होगी.