Wednesday, October 29, 2014

महाराष्ट्र चे मुख्यमंत्री - 1960 ते आज पर्यंत

विधानसभेचा क्रमांक
विधानसभेचा कालावधी

मुख्यमंत्री
कार्यकाल
पासून           
पर्यंत
पहिली
1 मे 1960  
3 मार्च 1962
1. यशवंतराव चव्हाण
1 मे 1960 ते 3 मार्च 1962
दुसरी
3 मार्च 1962
1 मार्च 1967
यशवंतराव चव्हाण
3 मार्च 1962 ते 20 नोव्हेंबर 1962



2. मारोतराव कन्नमवार
21 नोव्हेंबर 1962 ते 24 नोव्हेंबर 1963



3. वसंतराव नाईक
5 डिसेंबर 1963 ते 1 मार्च 1967
तिसरी
1 मार्च 1967
13 मार्च 1972
वसंतराव नाईक
1 मार्च 1967 ते 1 मार्च 1972
चौथी
13 मार्च 1972
2 मार्च 1978
वसंतराव नाईक
13 मार्च 1972 ते 20 फेब्रुवारी 1975



4. शंकरराव चव्हाण
21 फेब्रुवारी 1975 ते 16 एप्रिल 1977



5. वसंतराव पाटील
17 एप्रिल 1977 ते 2 मार्च 1978
पाचवी
2 मार्च 1978
 17 फेब्रुवारी1980
वसंतराव पाटील
7 मार्च 1978 ते 17 जुलै 1978



6. शरद पवार
18 जुलै 1978 ते 17 फेब्रुवारी 1980


17 फेब्रुवारी  1980 ते 9 जून 1980 या काळात राष्ट्रपती राजवट

सहावी
9 जून 1980
8 मार्च 1985
7. ए.आर. अंतुले
9 जून 1980 ते 12 जानेवारी 1982



8. बाबासाहेब भोसले
20 जानेवारी 1982 ते 1 फेब्रुवारी 1983



वसंतराव पाटील
2 फेब्रुवारी 1983 ते 8 मार्च 1985
सातवी
8 मार्च 1985
3 मार्च 1990
वसंतराव पाटील
10 मार्च 1985 ते 1 जून 1985



9. शिवाजीराव पाटील निलंगेकर
3 जून 1985 ते 7 मार्च 1986



शंकरराव चव्हाण
14 मार्च 1986 ते 24 जून 1988



शरद पवार
25 जून 1988 ते 3 मार्च 1990
आठवी
3 मार्च 1990
14 मार्च 1995
शरद पवार
4 मार्च 1990 ते 25 जून 1991



10. सुधाकरराव नाईक
25 जून 1991 ते 23 फेब्रुवारी 1993



शरद पवार
6 मार्च 1993 ते 13 मार्च 1995
नववी
14 मार्च 1995
15 जुलै 1999
11. मनोहर जोशी
14 मार्च 1995 ते 30 जानेवारी 1999



12. नारायण राणे
1 फेब्रुवारी 1999 ते 17 ऑक्टोबर 1999
दहावी
11 ऑक्टोबर 1999
2004
13. विलासराव देशमुख
18 ऑक्टोबर 1999 ते 18 जानेवारी 2003



14. सुशीलकुमार शिंदे
18 जानेवारी 2003 ते 30 ऑक्टोबर 2004
अकरावी
2004
2009
विलासराव देशमुख
1 नोव्हेंबर 2004 ते 5 डिसेंबर 2008



15. अशोक चव्हाण
8 डिसेंबर 2008 ते 10 ऑक्टोबर 2009
बारावी
2009
2014
अशोक चव्हाण
10 ऑक्टोबर 2009 ते 9 नोव्हेंबर 2010



16. पृथ्वीराज चव्हाण
10 नोव्हेंबर 2010 ते 26 सप्टेंबर 2014



26 सप्टेंबर 2014  ते 28 ऑक्टोबर 2014 या काळात राष्ट्रपती राजवट



तेरावी
2014
2019
17. देवेंद्र फडणवीस
31 ऑक्टोबर 2014 ते ----

Sunday, October 26, 2014

अफजल खान की फौज और छत्रपती शिवाजी महाराज का कॉपीराईट.

अफजल खान की फौज और छत्रपती शिवाजी महाराज का कॉपीराईट.

महाराष्ट्र के चुनाव खत्म होने के बाद अब न तो यहां किसीको अफजल खान बताया जा रहा है और नही गलीओ मे छत्रपती शिवाजी महाराज के नारे लग रहे है. वॉट्स अप पर अब गुजरात के खिलाफ कोई मैसेज भी नहीं आ रहा है. सब कुछ शांत है क्योंकि चुनाव के नतीजे आ चुके है.

नतीजो से कईओ को अश्चर्य हुआ है. इसकी वजह है प्रचार के दौरान बीजेपी ने जिस सटीक ढंग से अपने नेताओ का इस्तमाल किया वह अन्य दल नहीं कर पाए. इतना ही नहीं बीजेपी के प्रचार के प्रभाव को भांपने मे अन्य तमाम दल सरेआम नाकामयाब रहे.

मिसाल के तौर पर हम उत्तर मुंबई की दहीसर सीट को देख सकते है. मुंबई के दहीसर इलाके मे शिवसेना का दबदबा माना जाता है. यहां के विधायक थे शिवसेना के विनोद घोसाळकर. विनोद घोसाळकर पूरे उत्तर मुंबई की शिवसेना की तमाम जिम्मेदारी संभालते है. मातोश्री मे उनका दबदबा भी है. उनका चुनाव हारना और उस सीट से पहली बार विधायकी का चुनाव लड रही बीजेपी की मनीषा चौधरी का चुनाव जीतना कईओ को समझ नहीं आया. लेकिन बीजेपी का इस सीट पर जिस स्ट्रेटर्जी के तहत काम चल रहा था वह योजना कारगार साबीत हुई. पुरे महाराष्ट्र मे किसी सीट पर यदि सबसे ज्यादा गुजराती वोटर है तो वह इसी सीट पर है - करीब 37 फीसदी. वोटर पेटर्न का अभ्यास करने के बाद बीजेपी ने यहां स्टार कैम्पेनर बनाया गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को. आनंदीबेन पटेल यहां 4 से ज्यादा बार प्रचार के लिए आइ और स्थानिय कोलेज के पासआउट विद्यार्थीओ के कार्यक्रम मे दो बार शरीख हुई. शाम के समय वे गार्डन मे सिनीयर सिटीजन के साथ इवनिंग वॉक करती हुई नजर आई. लेकिन इन तमाम गतीविधीओ को मिडीया से एकदम दुर रखा गया. इसके अलावा गुजरात के मंत्री रमणभाई वोरा, विधायक रामजी पटेल, अहमदाबाद बीजेपी के अध्यक्ष, अहमदाबाद म्युनिसीपल कोर्पोरेशन के 3 पार्षद, बनासकांठा के सांसद हरीभाई चौधरी समेत करीब 30 35 बीजेपी के पदाधीकारी चुनाव के 10 दिन पहले कमर कस चुके थे.
दहीसर इलाके मे शिवसेना का ग्राउंड वर्क मजबुत है और कार्यकर्ताओ की कोई कमी नहीं. जबकी इससीट पर बीजेपी की स्थीती कमझोर है ( अभीभी कमझोर ही है). इस स्थीती को भांपते हुए बीजेपी ने बहार से नेताओ का जमावडा लगा दिया. लेकिन इसका इल्म किसीको नहीं हुआ और नाही अखबार या टीवी पर यह ग्राउन्ड रियालिटी दर्ज हो पाई. दहीसर सीट पर यह बहार से आए नेता एक एक बील्डींग मे जा रहे थे और मतदाताओ से मिलकर व्यक्तिगत रुप से नरेन्द्र मोदी के विचारो को समझा रहे थे. ठीक उसी समय शिवसेना के इस सिट के विधायक विनोद घोसाळकर सडक पर प्रचार कर रहे थे और यह सीट उन्हे सेफ सीट लग रही थी.

इसी सीट की बगल मे कांदीवली पूर्व की सीट है. जहां कोंग्रेस के विधायक रमेश सिंग ठाकुर आसानी से चुनाव जीतेंगे एसी हवा चल रही थी. लेकिन मामला जमिनी स्तर पर बदल रहा था. दहीसर की तरह ही यहां छोटे छोटे पॉकेट मे बडे बडे नेता गुपचुप तरीके से मिडीया से अपने आपको बचते बचाते प्रचार कर रहे थे. मसलन कांदीवली पूर्व की सीट पर बंगालीओ की एक बस्ती है. इस बस्ती मे दशहरा के दिन बंगाल के बीजेपी के इकलौते विधायक बाबुल सुप्रीयो दुर्गा माता की आरती उतारने पहुंच गए. जाहिर सी बात है कि इतना बडा गायक यदि किसी मंडल मे अपनी आवाज मे आरती गाए तो क्या होगा. वो आ गए और बंगालीओ के बीच छा गए. बस, होना क्या था, पुरी बस्ती के वोट बीजेपी को मिले. इस विधानसभा सीट पर कुल 160 सोसायटीओ की सूची बीजेपी ने बनाई थी. इन सोसायटीओ मे कौन रहता है, वह किस राज्य का है इन तमाम बातो का ध्यान रखते हुए एक एक बस्ती मे देश के अलग अलग इलाके से बीजेपी के बडे नेता आए और लोगो को मोदी फॉर्मूला समझा दिया. नतीजा बीजेपी के पक्ष मे रहा. बीजेपी का उम्मीदवार चुनाव जीत गया.

यहीं रणनिती बीजेपी की पूरे मुंबई मे रही. बीजेपी का प्रचार एक एक गली मे अलग अलग नेता कर रहे थे. शायद इसीलिए उद्धव ठाकरे ने प्रचार के इस गल्ली हमले को अफजल खान की फौज करार दे दिया.

वहीं दुसरीओर शिवसेना के पास अपना इकलौता स्टार प्रचारक है उद्धव ठाकरे. एक ही दिन होने वाले मतदान मे समय की कमी और हर एक गल्ली मे हो रहे प्रभावी प्रचार का जवाब वो वाट्सअप के माध्यम से दे रहे थे. उनके पास स्वयंघोषीत कॉपीराईट है छत्रपती शिवाजी महाराज का. चुनाव मे उन्होने छत्रपती के नाम पर वोट मांगे और बीजेपी के नेताओ की फौज को अफजल खान की फौज करार दे दिया. लेकिन यह पुरी यंत्रणा और स्टेटर्जी गलत रही. गुजरातीओ के खिलाफ प्रचार का नतीजा यह रहा की तमाम गैर मराठी वोट एकजुट हुए. लेकिन मराठी वोट अन्त तक बटे रहे. छत्रपती शिवाजी महाराज का कॉपीराईट सिर्फ शिवसेना के पास ही है यह बात तमाम मराठी मानने तो तैयार नहीं थे. शिवसेना पर पुरे चुनाव मे एक भी आरोप न लगाने वाली बीजेपी को मराठीओ के सोफ्ट कोर्नर का भी लाभ मिला. नतीजतन इस पुरे वोटो के गणीत मे बीजेपी एक अंक आगे रही. मुंबई की 15 सीट बीजेपी जीत गई.

यह आगाझ है ढाई साल बाद होने वाले बीएमसी चुनाव का. बीजेपी ने मुंबई मे शिवसेना से ज्यादा सीटे जीती है. अब यह तमाम जीते हुए विधायक काम पर लग जाएंगे और बीएमसी मे सत्ता की भागीदारी का आनंद ले रही बीजेपी अपने दम पर परचम लहराने की कोशीष करेंगी.

बहरहाल, मुंबई की गलीओ मे शांती है. नातो यहां अफजल खान की फौज है और नाही छत्रपती शिवाजी महाराज की कॉपीराईट की लडाई.




key holders of Maharashtra State stable government

अपक्ष 
1.    रवी राणा, बडनेरा
2.    बच्चू कडू, अचलपूर
3.    मोहन फड, पाथरी
4.    गणपत गायकवाड, कल्याण पूर्व
5.    महेश लांडगे, भोसरी
6.    विनायक पाटील, अहमदपूर
7.    शिरीष चौधरी, अमळनेर

8.    शेकाप - धैर्यशील पाटील, पेण
9.    शेकाप - सुभाष पाटील, अलिबाग
10.                      शेकाप- गणपतराव देशमुख, सांगोला

11.                      बविआ - विलास तरे, बोईसर
12.                      बविआ - क्षितीज ठाकूर, नालासोपारा
13.                      बविआ - हितेंद्र ठाकूर, वसई

14.                      एमआयएम - इम्तियाज जलील
15.                      एमआयएम - युसुफ पठाण

16.                      माकप - जिवापांडू गावित

17.                      भारिप ब.म.स बळीराम शिरस्कार

18.                      सप- अबू आझमी, मानखुर्द

19.                      मनसे - शरद सोनवणे, जुन्नर

20.                      रासप- राहुल कुल, दौंड

उत्तर मुंबई की मलाड सीट पर एक रस्साकशी भरा जंग जारी है। इस सीट पर इस समय किसका पलड़ा भारी है? गुजराती मिडडे में छपा हुआ मेरा लेख।