Sunday, August 6, 2017

गुजरात एनसीपी की पेबैक गेम….

क्रिकेट में एक जुमला है- ‘पेबैक सीरीज’. जब एक क्रिकेट टीम दूसरी टीम के हाथों पूरी की पूरी सीरीज हार जाती है और फिर एक अंतराल के बाद उन दोनों टीम के बीच फिर मुकाबला होता है और पिछली बार हारी हुई टीम ठीक उसी तरह जीत हासिल करती है. उसे कहते हैं पेबैक सीरीज.

गुजरात में इसी तरह एनसीपी इस समय कांग्रेस से साल 2012 का बदला ले रही है. साल दौरा 2012 में जब गुजरात के विधानसभा चुनाव हुए थे तो कांग्रेस और एनसीपी के बीच में गठबंधन का फैसला हुआ था. इस गठबंधन के फार्मूले के तहत कांग्रेस ने एनसीपी को 9 सीटें दी थी. लेकिन एन मौके पर गठबंधन और समझौता घोषित होने के बाद भी कांग्रेस ने दबंगाई की. कांग्रेस पार्टी ने इन 9 में से 5 सीटों पर अपने आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार खड़े रखें. जाहिर सी बात है एनसीपी को पूरा का पूरा एक चुनाव यानी 5 साल गवाने पड़े. महज 4 सीटों पर एनसीपी चुनाव लड़ी उनमें से 2 सीटों के ऊपर उसे विजय हासिल हुई.

लेकिन अब 5 साल के बाद पासा पलट गया है. गुजरात में राज्यसभा सीट को लेकर जोरदार दंगल जारी है. कोंग्रेस को राज्यसभा की सीट बचाने के लिए एक-एक विधायक की जरूरत पड़ रही है. कांग्रेस में तो इस समय फूट पड़ी हुई है, ऐसे में उन्हें अपनी सहयोगी पार्टी एनसीपी याद आ रही है. एनसीपी के महज 2 विधायक हैं लेकिन यह दोनों विधायक चाहें तो अहमद पटेल की राह आसान बना सकते हैं. लिहाजा पहले कांग्रेस के दिल्ली के बड़े नेताओं की एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार के साथ में चर्चा हुई. शरद पवार ने तो सार्वजनिक रूप से कह दिया कि एनसीपी पार्टी अहमद पटेल को वोट करेगी. लेकिन यह बात गुजरात में जमीनी स्तर पर कोई ज्यादा नहीं टिक पाई है.

दरअसल एनसीपी पार्टी यह चाहती है की 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने एनसीपी को जो धोखा दिया था उसका सूत समेत बदला लिया जाए. इसीलिए एनसीपी के तेवर बदले बदले से नजर आ रहे हैं. सूत्रों की माने तो कांग्रेस पार्टी ने अबकी बार शर्त रखी है की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन हो, इस गठबंधन की घोषणा पहले ही हो, गठबंधन के फार्मूले के तहत 20 विधानसभा की सीटें कांग्रेस पक्ष एनसीपी को दे, तब जाकर एनसीपी कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में वोट करेगी.

सस्पेंस इतना लंबा रखा गया है की 8 तारीख सुबह से पहले यानी राज्यसभा के लिए गुजरात में जिस दिन वोट डाले जाने हैं उससे पहले एनसीपी यह बात नहीं बताएगी कि वह किसे वोट करने वाली है. एक चर्चा यह भी है कि अहमद पटेल हर दिन तीन से चार बार एनसीपी के नेताओं के साथ फोन पर बात कर रहे हैं. लेकिन मामला अब तक पूरी तरह से जमा नहीं है.

इसे कहते हैं पेबैक सीरीज.
राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है.


Thursday, August 3, 2017

गुजरात में बाढ़ से डेयरी उद्योग पर गिरी गाज, अमूल को 70 करोड़ का नुकसान




उत्तर गुजरात में आई बाढ़ के चलते दूध और दूध से बनने वाली चीजों के उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है. पिछले एक हफ्ते में ही अमूल डेरी को करीब 70 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है और ये आंकड़ा रोज़ बढ़ रहा है. देश की सबसे बड़ी बनास डेयरी में दूध का कलेक्शन आम दिनों के मुकाबले एक चौथाई रह गया है.
गुजरात के उत्तरी इलाकों में आई बाढ़ ने राज्य के डेयरी उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया है. अमूल से जुड़ी 18 कोऑपरेटिव डेयरीज़ में सबसे बड़ी डेयरी बाढ़ प्रभावित बनासकांठा इलाके में है. इस डेयरी में हर रोज़ 40 लाख लीटर दूध इकट्ठा होता रहा है, लेकिन बाढ़ की वजह से हर रोज़ सिर्फ 10 लाख लीटर दूध ही डेयरी तक पहुंच पा रहा है. बाढ़ की वजह से सड़कों को इतना नुकसान हुआ है कि दूर दराज गांवों के लोगों के लिए डेयरी तक दूध पहुंचाना मुश्किल हो गया है. दूध कलेक्शन में कमी के कारण दूध से बनने वाली चीजों के उत्पादन में भी भारी गिरावट आई है. 
अकेले अमूल फेडरेशन को ही इस बाढ़ की वजह से 70 करोड रुपये का नुकसान हुआ है. बाढ़ की वजह से बड़ी तादाद में गाय-भैंसों की मौत भी हुई है. जिसके चलते वाले दिनों में भी दूध कलेक्शन में सुधार होना आसान नहीं होगा. दूध की इस किल्लत का खामियाजा किसानों के साथ ही साथ उपभोक्ताओं को भी उठाना पड़ सकता है.

उत्तर मुंबई की मलाड सीट पर एक रस्साकशी भरा जंग जारी है। इस सीट पर इस समय किसका पलड़ा भारी है? गुजराती मिडडे में छपा हुआ मेरा लेख।