बीएमसी
चुनाव में सीटों के बटवारे को लेकर शिवसेना और बीजेपी चर्चा में उलझे हुए हैं. कहीं यह
पूरा एक गेम प्लान तो नहीं? ऐसा लग रहा है कि शिवसेना और बीजेपी चर्चा के नाम पर विरोधियों को उलझा रहे हैं. दोनों
ही दल गठबंधन तोड़ने की बात नहीं कर रहे बल्कि सही प्रस्ताव का इंतजार कर रहे हैं.
संभ्रम
से क्या लाभ ?
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प्रसिद्धी मिलती रहे
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कार्यकर्ता दल के साथ जुडे रहे ( टिकट की आस में)
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कार्यकर्ता का मनोबल बना रहे
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विपक्ष को अपने उम्मीदवार तय करने में दिक्कत आए
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टिकट की आस में दोनो पक्षो में अन्य दलो के
नेताओ और कार्यकर्ताओं का आना जारी है
कार्यकर्ता क्या चाहते हैं –
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बीएमसी चुनाव में शिवसेना, बीजेपी, कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता
गठबंधन नहीं चाहते
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लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, एनसीपी के कार्यकर्ता गठबंधन चाहते
है.
नेता क्या चाहते है –
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शिवसेना
और बीजेपी ने नेता गठबंधन चाहते है क्योंकि उन्हे राज्य में साझा सरकार चलानी है.
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मुंबई
कांग्रेस के नेता मुंबई में एनसीपी के साथ गठबंधन नहीं चाहते. लेकिन महाराष्ट्र
स्तर के नेता मुंबई मे एनसीपी के साथ गठबंधन चाहते है.
शिवसेना और बीजेपी के बीच अबकी बार बीएमसी के चुनाव मे
गणित क्यों बिगडा ?
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यह सारा गणित विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बिगड़ा है
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मुंबई में कुल 36 विधानसभा की सीटे हैं
जिसमें से बीजेपी ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की।
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वही शिवसेना को 14 सीटों पर जीत मिली
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लेकिन बीएमसी में इससे बिल्कुल उल्टा गणित है. शिवसेना पिछले बीएमसी चुनाव में 71
सीटों पर जीत पाई थी
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वही बीजेपी को महज 31 सीटों पर जीत मिली थी
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सवाल यह है कि अब कौनसी सीट कौन रखें
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बीजेपी उत्तर मुंबई,
ईशान्य मुंबई और बाकी के बचे हुए
मुंबई के अलग-अलग हिस्सों से चुनिंदा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.
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शिवसेना
के मौजूदा पार्षद ईशान्य मुंबई और उत्तर मुंबई से अच्छी संख्या में चुनकर आए हैं.
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ऐसे
में शिवसेना के लिए यह संभव नहीं है कि वह अपने मौजूदा पार्षदों की सीटें काट दें.
क्योंकि इससे पार्टी के भीतर भूचाल मच जाएगा.
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वही
जिन सीटों पर विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत मिला है. वह यह सीटें नहीं छोड़
सकता वरना उसके पास से जनसमर्थन चला जाएगा.
युती होने पर क्या समीकरण
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युती
होने पर बीजेपी और शिवसेना से टिकट इच्छुक कार्यकर्ताओ का अन्य दल की ओर पलायन
शुरु हो जाएगा.
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बीजेपी
और शिवसेना का वोटर गठबंधन की सुरत में साझा उम्मीदवार को वोट न देते हुए एमएनएस या
अन्य दल के उम्मीदवार को वोट कर सकता है.
युती टूटने पर समीकरण
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अच्छे उम्मीदवार के
चुनाव जीतने की उम्मीद बढ जाएगी
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मतदाता पार्टी और चेहरा
दोनो को देखकर वोट करेंगे
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कम वोट पाने पर भी चुनाव
जीता जा सकता है
कौन किसके साथ
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कोंकणी
मराठी माणुस शिवसेना के साथ दिख रहा है
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उत्तर
भारतीय और गुजराती, मारवाडी बीजेपी के साथ दिख रहे है
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दलीत
वोट का ज्यादा तर झुकाव बीजेपी - शिवसेना की ओर है
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मुस्लिम
मतदाता बटे हुए है
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