मुंबई में खामोशी है. मतदाता खामोश है. एक ओर जहां प्रचार का शोर रात 10:00 बजे तक गली-गली और सड़कों पर दिखाई पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर मतदाता पूरी तरह से चुप है.
राजनैतिक खामोशी.
शोर कहां है.
राजनैतिक पार्टीओ की रैली में, कार्यकर्ताओ के बीच, पार्टी कार्यालयो में, न्यूज चैनल के दफतरो में, रिपोर्टरो के बीच.
स्पीरल ऑफ साइलेंस का मतलब क्या है.
21 तारीख को यदि 44 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ तो समज जाईए की शिवसेना की सत्ता समाप्त. लेकिन उससे कम मतदान हुआ तो बीजेपी फिर एक बार तीसरे नंबर पर पहुंच सकती है.
राजनैतिक खामोशी.
मुंबई का मतदाता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. ट्रेन के अंदर ना तो चर्चा है और ना ही पान के गल्ले पर बहस. मुंबई मे इस कदर खामोशी शायद ही पहले किसी चुनाव के दौरान देखी गई हो. जनता तो बस सुन रही है और चुपचाप अपना काम कर रही है.
राजनैतिक पार्टीओ की रैली में, कार्यकर्ताओ के बीच, पार्टी कार्यालयो में, न्यूज चैनल के दफतरो में, रिपोर्टरो के बीच.
स्पीरल ऑफ साइलेंस का मतलब क्या है.
- मुंबई में इस समय जारी यह खामोशी बहुत कुछ कह जाती है. बड़े-बड़े राजनीति विशेषज्ञों के लिए यह जान पाना मुश्किल है कि आखिर मुंबई की जनता किसे चुनेगी.
- कम्युनिकेशन का एक सिद्धांत है, जिसे कहते हैं स्पीरल ऑफ साइलेंस. इसका मतलब यह होता है कि एक व्यक्ति अपनी राय किसी के सामने प्रकट नहीं करता. लेकिन वक्त आने पर ऐसे तमाम खामोश लोग एक साथ अपनी बात एक जगह पर कह देते हैं. मुंबई महानगर पालिका के चुनाव में अब की बार यही स्पीरल साइलेंस देखने को मिल रहा है.
- इसके अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं. जो शिवसेना का समर्थक है वह कह रहा है कि लोगों का मन बन चुका है, अब शिवसेना की जीत तय है. वही दूसरा खेमा यह कह रहा है कि ये खामोशी शिवसेना की गुंडागर्दी के खिलाफ है. कोई भी व्यक्ति अपना मुंह खोल कर इस पार्टी के खिलाफ नहीं बोलना चाहता क्योंकि उसे गाली-गलोज पथराव और परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
- इस खामोशी के दो मतलब निकलते हैं. पहला अर्थ यह है कि लोग निराश-हताश हैं. ऐसे में वह वोटिंग करने नहीं जाएंगे. यदि ऐसा हुआ तो शिवसेना की जीत तय मानिए क्योंकि शिवसैनिक और शिवसेना का वोटर अपनी वोटिंग जरुर करेंगे. मुंबई के कुल वोटरों में मराठी वोटरो की संख्या 40 फिसदी जितनी है. दूसरा अर्थ यह है कि वोटर खामोश रहना चाहता है और वह चुप-चाप सत्ता के खिलाफ वोट करेगा. खामोश वोटरों ने वोटिंग कर दिया तो यह मतदान शिवसेना के खिलाफ होगा ऐसे में अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिलेंगे.
21 तारीख को यदि 44 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ तो समज जाईए की शिवसेना की सत्ता समाप्त. लेकिन उससे कम मतदान हुआ तो बीजेपी फिर एक बार तीसरे नंबर पर पहुंच सकती है.
No comments:
Post a Comment